नव जीवन नव अभिलाषा नव जीवन नव अभिलाषा
हिन्दी मेरी काबा - काशी हिन्दी मेरी काबा - काशी
जीवन धारा बन के हिंदी, भारत में बहती जाए, है ये सबके मन में समाए, जीवन धारा बन के हिंदी, भारत में बहती जाए, है ये सबके मन में समाए,
साहित्य की भाषा हो हिंदी, व्यवहार की भाषा हो हिंदी साहित्य की भाषा हो हिंदी, व्यवहार की भाषा हो हिंदी
मातृभूमि की खुशबू में रमकर मातृभूमि की खुशबू में रमकर
महानदी संग लहरा मारय, शिवरी पोरथ धाम ओ। महानदी संग लहरा मारय, शिवरी पोरथ धाम ओ।